Father Property Rights – पिता की संपत्ति पर बेटियों का हक नहीं? 10 जुलाई 2025 को आया हाईकोर्ट का बड़ा फैसला कई परिवारों के लिए चौंकाने वाला साबित हुआ है। अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या बेटियों को उनके पिता की संपत्ति से पूरी तरह बाहर कर दिया जाएगा? इस आर्टिकल में हम इस फैसले की पूरी जानकारी देंगे, ताकि आप जान सकें कि यह आपके जीवन को कैसे प्रभावित कर सकता है और आपको क्या कदम उठाने चाहिए।
क्या है मामला? जानिए पूरा संदर्भ
हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट ने एक ऐसे केस पर फैसला सुनाया जिसमें बेटी ने अपने पिता की संपत्ति पर अधिकार जताया था। लेकिन कोर्ट ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि अगर संपत्ति ‘स्वअर्जित’ है यानी पिता ने खुद कमाई से खरीदी है, तो वे अपनी मर्जी से किसी को भी वारिस बना सकते हैं, चाहे वो बेटा हो या कोई बाहरी व्यक्ति।
कोर्ट के फैसले की मुख्य बातें
- अगर संपत्ति खुद की कमाई की है (स्वअर्जित), तो पिता बेटियों को हक से वंचित कर सकते हैं।
- यदि संपत्ति पैतृक है, यानी पूर्वजों से चली आ रही है, तो बेटियों को बराबरी का अधिकार मिलेगा।
- कोर्ट ने साफ कहा कि संपत्ति के मालिक को अपनी संपत्ति देने का पूरा हक है।
कौन-कौन बेटियां इस फैसले के बाद Disqualify होंगी?
यह फैसला सभी बेटियों पर लागू नहीं होता। केवल कुछ विशेष परिस्थितियों में ही बेटियां संपत्ति से बाहर होती हैं:

Disqualify होने वाली स्थितियां
- अगर संपत्ति पिता की खुद की कमाई की हो और उन्होंने वसीयत में बेटी का नाम नहीं लिखा हो।
- अगर पिता ने बेटियों को पहले ही कुछ दे दिया हो और बाकी संपत्ति बेटे या किसी और को देने का निर्णय किया हो।
- अगर बेटी ने पिता के अंतिम समय में देखभाल नहीं की और यह बात कोर्ट में साबित हो गई हो।
क्या बेटियों का अब कोई हक नहीं बचा?
यह पूरी तरह से गलतफहमी है। सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट दोनों ने पहले भी यह साफ किया है कि बेटियों को भी बराबरी का हक है, लेकिन वह हक केवल पैतृक संपत्ति पर लागू होता है। स्वअर्जित संपत्ति पर पिता का अधिकार अधिक होता है।
स्वअर्जित और पैतृक संपत्ति में अंतर
संपत्ति का प्रकार | हकदार कौन होता है? | बेटियों का अधिकार? |
---|---|---|
स्वअर्जित संपत्ति | मालिक की मर्जी | नहीं, अगर वसीयत में नाम नहीं |
पैतृक संपत्ति | सभी कानूनी उत्तराधिकारी | बराबर का हक |
बिना वसीयत की संपत्ति | सभी कानूनी उत्तराधिकारी | बराबर का हक |
यह फैसला आम लोगों को कैसे प्रभावित करेगा?
1. बेटियों के लिए क्या संकेत हैं?
अगर आप एक बेटी हैं और आपके पिता की संपत्ति स्वअर्जित है, तो आपको उनसे खुलकर बात करनी चाहिए। यदि वे चाहते हैं कि आप भी उनके बाद हकदार बनें, तो उन्हें वसीयत में आपका नाम स्पष्ट रूप से लिखना होगा।
2. बेटों को क्या करना चाहिए?
सिर्फ बेटा होना अधिकार की गारंटी नहीं देता। अगर पिता ने वसीयत नहीं बनाई है, तो संपत्ति सभी बच्चों में बराबर बंटेगी, चाहे वे बेटे हों या बेटियां।
एक सच्ची कहानी – कैसे एक बेटी का हक छिन गया
रेणु गुप्ता (बदला हुआ नाम), दिल्ली की रहने वाली एक शिक्षिका थीं। उनके पिता ने एक फ्लैट खरीदा था जो पूरी तरह से उनकी कमाई से लिया गया था। पिता ने अपने जीवन में किसी भी वसीयत की बात नहीं की थी। लेकिन जब उनके देहांत के बाद बेटों ने वह संपत्ति बेच दी, तो रेणु को पता चला कि वसीयत में उसका नाम ही नहीं था। कोर्ट ने यह कहते हुए उसका दावा खारिज कर दिया कि यह स्वअर्जित संपत्ति थी और पिता की मर्जी ही अंतिम मानी जाएगी।
क्या वसीयत बनवाना जरूरी है?
बिलकुल। अगर आप चाहते हैं कि आपकी संपत्ति आपके बच्चों में किसी विशेष तरीके से बंटे, तो आपको वसीयत जरूर बनवानी चाहिए। यह न केवल विवाद को रोकेगा, बल्कि बच्चों के रिश्ते भी बचाएगा।
वसीयत से जुड़े जरूरी बिंदु
- वसीयत लिखित होनी चाहिए।
- दो गवाहों की उपस्थिति जरूरी है।
- रजिस्ट्री कराना बेहतर होता है लेकिन अनिवार्य नहीं।
मेरा अनुभव – एक वकील की सलाह ने मेरी सोच बदल दी
मेरे एक दोस्त के पिता ने बिना वसीयत के दुनिया छोड़ी। जब संपत्ति का बंटवारा शुरू हुआ, तो बहनों और भाइयों में जबरदस्त झगड़ा हुआ। एक वकील ने तब हमें बताया कि अगर उनके पिता ने वसीयत बना दी होती, तो यह विवाद ही न होता। तभी मैंने समझा कि जागरूकता कितनी जरूरी है।
बेटियों को क्या करना चाहिए?
- पिता से खुलकर बात करें।
- वसीयत के बारे में पूछें, बुरा मत मानिए।
- यदि कुछ संदेह है, तो लीगल एडवाइस लें।
- अपने अधिकारों को समझें और समय पर कदम उठाएं।
क्या बेटियां वाकई हक से बाहर हो गईं?
नहीं, यह पूरी तरह से सत्य नहीं है। हाईकोर्ट का यह फैसला केवल स्वअर्जित संपत्ति पर लागू होता है और वह भी तभी जब वसीयत हो। बेटियों को अब भी पैतृक संपत्ति में पूरा अधिकार है। ज़रूरत है जानकारी की, बातचीत की और सही समय पर लीगल प्रोसेस अपनाने की।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
1. क्या बेटियों को हमेशा पिता की संपत्ति में हिस्सा मिलेगा?
नहीं, अगर संपत्ति स्वअर्जित है और वसीयत में नाम नहीं है, तो नहीं मिलेगा।
2. वसीयत के बिना बेटियों का क्या हक है?
बिना वसीयत की पैतृक संपत्ति में बेटियों को बराबर का हक मिलता है।
3. क्या बेटियों को वसीयत देखने का अधिकार है?
अगर आप कानूनी उत्तराधिकारी हैं, तो आप वसीयत देखने का अधिकार रखती हैं।
4. क्या पिता बेटी का नाम वसीयत से हटा सकते हैं?
हां, अगर संपत्ति स्वअर्जित है तो पिता अपनी मर्जी से वसीयत बना सकते हैं।
5. अगर कोई वसीयत नहीं है, तो संपत्ति कैसे बंटेगी?
ऐसी स्थिति में हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत सभी कानूनी वारिसों में बराबर बंटवारा होता है।